| 1. | अतः मूल वाद काल वाधित नही है।
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| 2. | मूल वाद संख्या-24 / 04 के विवाद्यक संख्या-2का निस्तारण।
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| 3. | इन दोनो आदेष मूल वाद संख्या-16 / 04 निरस्त किया जाता है।
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| 4. | क्या मूल वाद वादी कालवाधित था?
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| 5. | मूल वाद की पत्रावली अधीनस्थ न्यायालय अविलम्ब प्रेषित की जाये।
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| 6. | प्रत्यर्थी / वादी ने मूल वाद अपीलार्थीगण के विरूद्ध अधीनस्थ न्यायालय में योजित किया।
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| 7. | इस निर्णय की एक प्रति मूल वाद संख्या-24 / 04 की पत्रावली मे रखा जाये।
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| 8. | श्री रामकुमार सक्सेना ने मूल वाद संख्या 22 सन् 1962 में 31-3-64 को अपने
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| 9. | उक्त मूल वाद में उपरोक्त विक्रयपत्र मन्सूख कराने का भी अनुतोष मांगा गया है।
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| 10. | मूल वाद के वादी द्वारा प्रस्तुत वाद पत्र का आधार एक अपंजीकृत विक्रयनामा है।
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